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माँ / कुँअर बेचैन

13 bytes added, 20:09, 19 अप्रैल 2011
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<Poem>
माँ!
तुम्हारे सजल सज़ल आँचल ने
धूप से हमको बचाया है।
चाँदनी का घर बनाया है।
दूध की दो गागरें कोरी
माँ!
तुम्हारे प्रीति के पल ने
आँसुओं को भी हँसाया है
बोलना मन को सिखाया है।
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