"अबकी होली में / जयकृष्ण राय तुषार" के अवतरणों में अंतर
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+ | मगर याद रहे | ||
+ | मन को भी रंग से सजाना | | ||
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− | + | मद्धम सी आंच पर उबालना , | |
− | + | जाने क्या | |
− | + | चुभता है आँखों में | |
− | + | आना तो फूंककर निकालना , | |
+ | मैं नाचूँगी | ||
+ | राधा बनकर | ||
+ | तू कान्हा बांसुरी बजाना | | ||
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− | + | पलाश दहके हैं , | |
− | + | मेरे भी | |
− | + | आंगन में | |
− | + | कुछ गुलाब महके हैं , | |
+ | कब तक | ||
+ | हम रखेंगे बांधकर | ||
+ | खुशबू का है कहाँ ठिकाना | | ||
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+ | लाल हरे | ||
+ | पीले रंगों भींगी | ||
+ | चूनर को धूप में सुखायेंगे , | ||
+ | तुम मन के | ||
+ | पंख खोल उड़ना | ||
+ | हम मन के पंख को छुपायेंगे , | ||
+ | मन की हर | ||
+ | बंधी गाँठ खोलना | ||
+ | उस दिन तो दरपन हो जाना | | ||
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+ | हारेंगे हम ही | ||
+ | तुम जीतना | ||
+ | टॉस मगर जोर से उछालना , | ||
+ | ओ मांझी | ||
+ | धार बहुत तेज है | ||
+ | मुझे और नाव को सम्हालना , | ||
+ | नाव से | ||
+ | उतरना जब घाट पर | ||
+ | हाथ मेरी ओर भी बढ़ाना | ||
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19:24, 20 अप्रैल 2011 का अवतरण
होली में
आना जी आना
चाहे जो रंग लिए आना |
भींगेगी देह
मगर याद रहे
मन को भी रंग से सजाना |
वर्षों से
बर्फ जमी प्रीति को
मद्धम सी आंच पर उबालना ,
जाने क्या
चुभता है आँखों में
आना तो फूंककर निकालना ,
मैं नाचूँगी
राधा बनकर
तू कान्हा बांसुरी बजाना |
आग लगी
जंगल में या
पलाश दहके हैं ,
मेरे भी
आंगन में
कुछ गुलाब महके हैं ,
कब तक
हम रखेंगे बांधकर
खुशबू का है कहाँ ठिकाना |
लाल हरे
पीले रंगों भींगी
चूनर को धूप में सुखायेंगे ,
तुम मन के
पंख खोल उड़ना
हम मन के पंख को छुपायेंगे ,
मन की हर
बंधी गाँठ खोलना
उस दिन तो दरपन हो जाना |
हारेंगे हम ही
तुम जीतना
टॉस मगर जोर से उछालना ,
ओ मांझी
धार बहुत तेज है
मुझे और नाव को सम्हालना ,
नाव से
उतरना जब घाट पर
हाथ मेरी ओर भी बढ़ाना