"भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “चम्पा दासी द्वारा राजा को पहचान"" के अवतरणों में अंतर
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16:44, 21 अप्रैल 2011 का अवतरण
अब ये चम्पा दासी राहय ते जाके रानी सामदेवी ल बताथे रागी (हौव)
अउ कइथे, रानी (हा)
में अतका कई डरेंव वो योगी ल (हौव)
वो जाबे नई करत ऐ (हा)
अउ तोर हाथ ले वो भिक्षा लुहूँ किथे (लेहूँ किथे)
हमर हाथ ले भिक्षा नई लेवत ऐ (हौव)
का पूछत हस रागी ओतका बात ल सुनके (हा)
जल-बल के खाख हो जथे (हौव)
अउ गुस्सा होके किथे (हा)
चार झन दीवान मन ला बोलथे (हौव)
वो योगी नोहय, चंडाल ऐ (हा)
जा ओला धक्का मार के निकाल दव (निकाल दव)
ओकर झोला झंटका ल नगां लव (हौव)
अउ गंगा में लेके बोहा दव (हा)
अब ओतका बात ल सुनके, चार छन दीवान राहय ते रागी (हौव)
योगी के पास में आ जथे (हा)
अपन अपन ले झोला ल नंगात रिथे (हौव)
बाबा ल धक्का मारत रिथे (हा)
लेकिन वो बाबा उंहा ले नई जावय (हौव)
– गीत –
तब तो बोले मोर रानी हा, मोर रानी हा वो
सुनले दासी मोर बाते ला
तब तो बोले मोर रानी हा, मोर रानी हा या
सुनले दासी मोर बाते ला
एकबारेच वो, अउ जाना दासी
एकबारेच वो, अउ जाना दासी
तेंहा भिक्षा ये देके, ये आना वो, येदे आवोना, भाई येदे जी
अउ भिक्षा देके आवोना, येदे आवोना, भाई येदे जी
भिक्षा ये लेके ये पहुँचत थे, येदे पहुँचय दीदी
चम्पा ये दासी ह आज ना
भिक्षा ये लेके ये पहुँचत थे, येदे पहुँचय दीदी
चम्पा ये दासी ह आज ना
लेलव बाबा तुमन, येदे भिक्षा ल ग
लेलव बाबा तुमन, येदे भिक्षा ल ग
येदे धूनी ल इंहा ले उठावव जी, ये उठावव जी, भाई येदे जी
येदे धूनी ल इंहा ले उठावव ना, ये उठावव ना, भाई येदे जी
– गाथा –
अब ये चम्पा दासी राहय तेन रानी सामदेवी के बात मान के आथे रागी (हौव)
फेर किथे (हा)
बाबा (हौव)
एले अब तो भिक्षा लेलेव (हा)
धूनी ल हटा दव (हौव)
हां भई भिक्षा नई लव (हा)
तो आसपास में तुंहर बर हम मंदिर बनवा देथन (हौव)
उंहा तुम पुजारी रहू (पुजारी रहू)
तुहाँ ल हाथी घोड़ा सबकुछ देबो (हौव)
लेकिन इंहा ले तुम धूनी ल तो हटा दो (हा)
ओतका बात ल सुनथे तो बाबा (हौव)
थोकन मुस्कुरा देथे (हा)
मुस्कुरा देथे ओकर दांत में, ओकर सोन के दांत लगे रिथे (हौव)
झलक ह दिख जथे (हा)
चम्पा दासी राहय ते चिन डारथे (हौव)
अउ चिन्हे के बाद का पूछत हस रागी (हा)
थई थई थारी ल पटक देथे (हौव)
अउ जाके बीच अंगना में (हा)
रोवन लाग जथे (हौव)
– गीत –
बोले बचन चम्पा दासी हा, चम्पा दासी हा वो
सुन ले रानी मोर बाते ल
बोले बचन चम्पा दासी हा, चम्पा दासी हा या
सुन ले रानी मोर बाते ल
वो ह योगी नोहय, तोर राजा ऐ वो
वो ह योगी नोहय, तोर राजा ऐ वो
येदे कही के रोवन लागत हे, भाई येदे जी
येदे कही के रोवन लागत हे, भाई येदे जी
बोले बचन चम्पा दासी हा, चम्पा दासी हा वो
सुन ले रानी मोर बाते ल
बोले बचन चम्पा दासी हा, चम्पा दासी हा या
सुन ले रानी मोर बाते ल
कोन भेषे में वो, भगवाने आथे
कोन भेषे में ना, भगवाने आथे
येदे कोन भेषे तोर राजा वो, भाई येदे जी
येदे कोन भेषे तोर राजा वो, भाई येदे जी