"भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “रानी से चम्पा दासी के लिए विनती”" के अवतरणों में अंतर
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16:58, 21 अप्रैल 2011 का अवतरण
अब ये दासी राहय ते रागी (हौव)
सबझन ल किथे (हा)
मोर बात तो तुमन सुन लौ (सुन लौ)
बहिनी हो (हा)
तुमन तो मोर बात सुनलव (हौव)
भईया हो (हा)
तुमन तो मोर बात सुनलव (हौव)
चम्पा दासी के कोई बात नई सुनय रागी (हा)
बस ओला फांसी में लेगेबर (हौव)
तैयार रिथे (हा)
एकादशी के उपास रिथे (हौव)
छै दिन के वो खाना नई खाय राहय (हा)
तब सब सखी सहेली, रानी सामदेवी ल किथे (हा)
– गीत –
बोले बचन मोर सखीमन, मोर सखीमन या
सुन ले रानी मोर बाते ल
बोले बचन मोर सखीमन, मोर सखीमन वो
सुन ले रानी मोर बाते ल
एकादशी के वो, ये उपासे हावय
एकादशी के ना , वो उपासे हावय
येदे छै दिन कुछ खाए वो, भाई येदे जी
येदे छै दिन के कुछ नई खाए वो, भाई येदे जी
लोटा ल देवत हे रानी हा, मोर रानी ह वो
आमा-ये-झरीबर भेजथे
लोटा ल देवत हे रानी हा, मोर रानी ह वो
सोना-ये-झरीबर भेजथे
चम्पा दासी दीदी, उहाँ पहुँचत थे या
चम्पा दासी दीदी, उहाँ पहुँचत थे वो
येदे रोवन लागत थे वोदे वो, भाई येदे जी
येदे रोवन लागत थे वोदे वो, भाई येदे जी
– गाथा –
चम्पा दासी के सब सखी सहेली राहय ते रागी (हौव)
जाकर के रानी सामदेवी ल किथे (हा)
दोनों हाथ में विनती करके किथे (हौव)
रानी (हा)
एकबार हमर बात रखलेव (रखलेव)
वो ह एकादशी के उपास हे (हौव)
छै सात दिन होगे कुछ खाए नईये (हा)
अउ खाली पेट में ओला फांसी मत चढ़ा (हौव)
अउ ओला गुस्सा आ जथे रागी (हा)
धरा देथे लोटा ला (हौव)
अउ सोनाझरी के (हा)
तरियाबर भेज देथे (हौव)
अब ये चम्पा दासी राहय तेन (हा)
धिरे धिरे जा थे (हौव)
रोवत रिथे (हा)
– गीत –
पहुंचन लागत थे दासी हा, मोर दासी हा वो
सोना-ये-झरीबर के तीरे में, येदे तोरे में या
गंगा ये मइया ल देखत थे, येदे देखय दीदी
बोलन लागथे दासी हा, भाई येदे जी
राजा बोलथे वो, करले अमर राजा भरथरी
येदे काहथे वो, करले अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निशान, करले अमर राजा भरथरी, भाई येदे जी
गंगा-च मइया में उतरत थे, मोर उतरत थे वो
चम्पा ये दासी ह आजे ना, येदे आजे दीदी
विनती करय जल देवती के, जल देवती के वो
सुमिरन करय भोलानाथ के, भाई येदे जी
राजा बोलथे वो, करले अमर राजा भरथरी
येदे काहथे वो, करले अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निशान, करले अमर राजा भरथरी, भाई येदे जी
घुटुवा ले पानी ह आवत थे, येदे आवय दीदी
माड़ी ले पानी ह आ गेहे, येदे आगे हे वो
मनेमने दासी सोचत थे, येदे सोचय दीदी
देखन लागथे भोला ला, भाई येदे जी
राजा बोलथे वो, करले अमर राजा भरथरी
येदे काहथे वो, करले अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निशान, करले अमर राजा भरथरी, भाई येदे जी
– गाथा –
अब ये चम्पा दासी राहय ते रागी (हौव)
लोटा ल धर लेथे (हा)
सोनाझरी के तीरे में पहुंच गे (हौव)
गंगा मइया में उतरथे (हा)
घुटुवा ले पानी आ जथे (हौव)
ओकर बाद माड़ी तकले (हा)
जब माड़ी तकले आथे त किथे हे भोलेनाथ (हौव)
में तोर सामने में हौव (हा)
तें मोरबर दया कर (हौव)
में तोला अंचरा मे पुजहूँ (हा)
भोलेनाथ (हौव)
अइसे किके ओकर प्रार्थना करथे (हा)