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तू / ओएनवी कुरुप

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यहाँ पहुँचते वसंत की जीभ को
तूने उखाड़ दिया और
चिडियों चिड़ियों के चोंच से
कोई आवाज़ नहीं निकलती
तू साँस लेता है हवा में
और पेयजल में
और इनमें मृत्यु का चारा टाँगता है
जिस टहनी पर बैठा हुआ है
उसी को ख़ुद काटता है
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