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"खड़े नियामक मौन / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर
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घुटने टेके खड़े नियन्ता | घुटने टेके खड़े नियन्ता | ||
खड़े नियामक मौन | खड़े नियामक मौन | ||
− | घात | + | घात लगाए कुर्सी बैठे |
टट्टू भाड़े वाले | टट्टू भाड़े वाले | ||
अपनी बातो में वादों के | अपनी बातो में वादों के | ||
− | + | सब्ज़बाग हैं पाले | |
− | सुरसा सी बढ़ती आबादी | + | सुरसा-सी बढ़ती आबादी |
− | + | गाफ़िल लाल तिकोन | |
− | + | ढूँढ़ रही रह आँख हवा में | |
एक यही प्रश्नोत्तर | एक यही प्रश्नोत्तर | ||
− | इतनी बड़ी हवेली | + | इतनी बड़ी हवेली आख़िर |
कब किसने की खँडहर | कब किसने की खँडहर | ||
बन-बबूल से हुए पराजित | बन-बबूल से हुए पराजित | ||
पंक्ति 27: | पंक्ति 24: | ||
लँगड़ा हाथी, टूटी ढालें | लँगड़ा हाथी, टूटी ढालें | ||
− | + | काग़ज़ की तलवारें | |
जंग जीतने चले समय की | जंग जीतने चले समय की | ||
लेकर थोथे नारे | लेकर थोथे नारे | ||
− | घबरायी | + | घबरायी नज़रों से ताके |
घिरी चिरैया सोन | घिरी चिरैया सोन | ||
घुटने टेके खड़े नियन्ता | घुटने टेके खड़े नियन्ता | ||
खड़े नियामक मौन | खड़े नियामक मौन | ||
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01:33, 24 अप्रैल 2011 का अवतरण
घुटने टेके खड़े नियन्ता
खड़े नियामक मौन
घात लगाए कुर्सी बैठे
टट्टू भाड़े वाले
अपनी बातो में वादों के
सब्ज़बाग हैं पाले
सुरसा-सी बढ़ती आबादी
गाफ़िल लाल तिकोन
ढूँढ़ रही रह आँख हवा में
एक यही प्रश्नोत्तर
इतनी बड़ी हवेली आख़िर
कब किसने की खँडहर
बन-बबूल से हुए पराजित
देवदार सागौन
लँगड़ा हाथी, टूटी ढालें
काग़ज़ की तलवारें
जंग जीतने चले समय की
लेकर थोथे नारे
घबरायी नज़रों से ताके
घिरी चिरैया सोन
घुटने टेके खड़े नियन्ता
खड़े नियामक मौन