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"हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
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हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे, | हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे, | ||
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किसको सैराब करे वो किसे प्यासा रक्खे । | किसको सैराब करे वो किसे प्यासा रक्खे । | ||
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कौन निभाता है उम्र भर ताल्लुक़ इतना, | कौन निभाता है उम्र भर ताल्लुक़ इतना, | ||
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ऐ मेरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रक्खे । | ऐ मेरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रक्खे । | ||
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हंस ना इतना फ़क़ीरों के अकेलेपन पर, | हंस ना इतना फ़क़ीरों के अकेलेपन पर, | ||
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जा खु़दा मेरी तरह तुझको भी तन्हा रक्खे । | जा खु़दा मेरी तरह तुझको भी तन्हा रक्खे । | ||
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कम नहीं तमा-ए-इबादत भी हिर-ए-ज़र से, | कम नहीं तमा-ए-इबादत भी हिर-ए-ज़र से, | ||
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फ़क्र तो वो है के जो दीन ना दुनिया रक्खे । | फ़क्र तो वो है के जो दीन ना दुनिया रक्खे । | ||
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दिल भी पागल है के उस शख़्स से वाबस्ता है, | दिल भी पागल है के उस शख़्स से वाबस्ता है, | ||
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जो किसी और का होने दे ना अपना रक्खे । | जो किसी और का होने दे ना अपना रक्खे । | ||
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मुझको अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तेरा, | मुझको अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तेरा, | ||
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कोई तुझसा हो तो फिर नाम भी तुझसा रक्खे । | कोई तुझसा हो तो फिर नाम भी तुझसा रक्खे । | ||
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ये अता’अत है क़ता’अत है के चाहत है ’फ़राज़’, | ये अता’अत है क़ता’अत है के चाहत है ’फ़राज़’, | ||
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हम तो राज़ी हैं वो जिस हाल में जैसा रक्खे । | हम तो राज़ी हैं वो जिस हाल में जैसा रक्खे । | ||
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11:48, 24 अप्रैल 2011 का अवतरण
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हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे,
किसको सैराब करे वो किसे प्यासा रक्खे ।
कौन निभाता है उम्र भर ताल्लुक़ इतना,
ऐ मेरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रक्खे ।
हंस ना इतना फ़क़ीरों के अकेलेपन पर,
जा खु़दा मेरी तरह तुझको भी तन्हा रक्खे ।
कम नहीं तमा-ए-इबादत भी हिर-ए-ज़र से,
फ़क्र तो वो है के जो दीन ना दुनिया रक्खे ।
दिल भी पागल है के उस शख़्स से वाबस्ता है,
जो किसी और का होने दे ना अपना रक्खे ।
मुझको अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तेरा,
कोई तुझसा हो तो फिर नाम भी तुझसा रक्खे ।
ये अता’अत है क़ता’अत है के चाहत है ’फ़राज़’,
हम तो राज़ी हैं वो जिस हाल में जैसा रक्खे ।