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"आग लगे इस राम-राज में / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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रचनाकाल: १८-०९-१९५१ | रचनाकाल: १८-०९-१९५१ | ||
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14:54, 24 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
[१]
आग लगे इस राम-राज में
ढोलक मढ़ती है अमीर की
चमड़ी बजती है गरीब की
खून बहा है राम-राज में
आग लगे इस राम-राज में
[२]
आग लगे इस राम-राज में
रोटी रूठी, कौर छिना है
थाली सूनी, अन्न बिना है,
पेट धँसा है राम-राज में
आग लगे इस राम-राज में।
रचनाकाल: १८-०९-१९५१