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Kavita Kosh से
अनुवाद सुधारना
हे मकड़ी, तुम केश में
क्यों घूमने जाती हो?
आशा है तुम रोज़सुखकन्या का भाग्य खोला करती को देती हो।
अब यही कविता चेक भाषा में पढ़े :