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♦ रचनाकार: अज्ञात
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मोटी सी साड़ी ल्या दै हो
जिसकी चमक निराली...
जलियाँवाला बाग का जलसा
डायर फायर करता हो
भारत का बदला लेने को
लंदन में शेर विचरता हो
डायर मारया, खुद मरया
गया ना वार कती खाली
मोटी सी साड़ी ल्या दै हो
जिसकी चमक निराली....