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"अपना शहर / मख़दूम मोहिउद्दीन" के अवतरणों में अंतर

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08:36, 28 अप्रैल 2011 का अवतरण

ये शहर अपना

अजाब शहर है के

रातों में

सड़क पे चलिए तो

सरगोशियाँ सी करता है

वो लाके ज़ख्म दिखाता है

राजे दिल की तरह

दरीचे बंद

गली चुप

निढाल दीवारें

कोढ़ा मोहरें-ब-लब

घरों में मैय्यतें ठहरी हुई हैं बरसों से

किराए पर