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"इक शख्स था / मख़दूम मोहिउद्दीन" के अवतरणों में अंतर

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09:02, 28 अप्रैल 2011 का अवतरण

इक शख्स था ज़माना था के दीवाना बना
इक अफसाना था अफसाने से अफसाना बना

इक परी चेहरा के जिस चेहरे से आइना बना
दिल के आइना दर आइना परीखाना बना

कीमि-ए-शब् में निकल आता है गाहे गाहे
एक आहू कभी अपना कभी बेगाना बना

है चरागाँ ही चरागाँ सरे अरिज सरेजाम
रंग सद जलवा जाना न सनमखाना बना

एक झोंका तेरे पहलू का महकती हुई याद
एक लम्हा तेरी दिलदारी का क्या क्या न बना