भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आकां माथै हरयाळ्यां / राजेन्द्र स्वर्णकार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= राजेन्द्रा स्वणर्णकार |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार= राजेन्द्र स्वर्णकार |
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} |
23:45, 28 अप्रैल 2011 का अवतरण
आकां माथै हरयाळ्यां
सूखै तुलछी री डाळ्यां
गंगाजी नै गाळ अबै
पूजीजै गंदी नाळ्यां
थोर हंसै गमला में, अर
खेत सडै सिट्टा बाळ्यां
अबै अमूझो - अंधारो
करै झरोखा अर झाळ्यां
गिणै न बायां - बेट्यां नै
अधमां रै टपकै लाळ्यां
माथो जठै पीटणो व्है
लोग बठै पीटै ताळ्यां
आं रो कीं करणो पडसी
राजिंद, नीं चालै टाळ्यां