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15:53, 1 मई 2011 के समय का अवतरण
कल का अखबार हूँ मैं
आज का नहीं
इतिहास के पेट में पड़ा हूँ मैं
आज के बोध से दूर
भविष्य के बोध से बहुत दूर
छप चुका हूँ मैं
पढ़ चुके हैं लोग
आज का अखबार
दूसरा अखबार है
रचनाकाल: २३-०३-१९७०
 
	
	

