भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ग़ज़ल-2 / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> इस समंदर का मुझे …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:31, 5 मई 2011 के समय का अवतरण
इस समंदर का मुझे
साहिल नज़र आता नहीं
वीरान है कबसे शहर
कोई बशर गाता नहीं
दूर तक फैला अन्धेरा
कुछ नज़र आता नहीं
जो वक्त पीछे रह गया
वो लौट कर आता नहीं
2005