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"तिरस रो छैड़ो नीं है / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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बिगाड़ दियो है आपां!
 
बिगाड़ दियो है आपां!
  

04:52, 9 मई 2011 के समय का अवतरण

हेत रो अरथ
बिगाड़ दियो है आपां!

गोड़ा घड़ लीवी है कथावां
माथै ऊपरां कर
निसरण लागगी है
आपां रै-
भाषा,
सबद
अर व्याकरण।

थांनै सोख है
सनीमा देखण रो
भलांई भाषा
कानां उपरां कर निकळो,
थांनै रैवै उडीक
अबै S S... अबै आवैला
बो दरसाव
तरसो फगत उणी एक दरसाव सारू।

हरेक खेल मांय
भूख रो चितराम नीं हुया करै
अर सांचै हेत मांय
थारै गोड़ा घड़ी कथा दांई
सरफ फण नीं उठाया करै।

थामो, थामो थांरी उडीक
नींतर थांनै लाग जावैला तिरस
अर थे भटकोला तिरसाया
अणबूझ तिरस मांय।