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12:42, 9 मई 2011 का अवतरण
रात और दिन की विभिन्न घटनाएं
हमारे इर्द-गिर्द नाचती रहती हैं
जैसे इन्हें कोई सुर और ताल दे रहा हो
और हर कांपते हुए क्षण को
मैं पूर्ण सजगता से देखता हूं
कहीं यह अविश्वास और आक्रोश की कंपन तो नहीं
और जमीन पर रख देने से
सारी थालियां चुप हो जाती हैं।
