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"शंकर -स्तवन / तुलसीदास/ पृष्ठ 2" के अवतरणों में अंतर

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'''शंकर -स्तवन-1'''
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'''शंकर -स्तवन-2'''
( छंद 149, 150)
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(149)  
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( छंद 151, 152)
  
भस्म अंग, मर्दन अनंग, संतत असंग हर।
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(151)
सीस गंग, गिरिजा अर्धंग भुजंगबर।।
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मुंडमाल , बिधु बाल भाल, डमरू कपालु कर।
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अरध अंग अंगना, नामु जोगीसु, जोगपति।
बिबुधबृंद-नवककुमुद-चंद, सुखकंद सूलधर।
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बिषम असन, दिगबसन, नाम बिस्वेसु बिस्वगति।।
  
  त्रिपुरारि त्रिलेाचन, दिग्बसन, बिषभोजन, भवभयहरन।
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कर कपाल, सिर माल ब्याल, बिष -भूति-बिभूषन।
कह तुलसिदासु सेवत सुलभ सिव सिव संकर सरन।।
+
  नाम सुद्ध , अबिरूद्ध, अमर अनवद्य, अदूषन।।
  
(150)
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बिकराल-भूत-बेताल-प्रिय भीम नाम, भवभयदमन।
 +
सब बिधि समर्थ, महिमा अकथ, तुलसिदास-संसय-समन।।
  
गरल -असन दिगबसन ब्यसन भंजन जनरंजन।
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(152)
कुंद-इंदु-कर्पूर-गौर सच्चिदानंदघन।।
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बिकटबेष, उर सेष , सीस सुरसरित सहज सुचि।
+
भूतनाथ भय हरन भीम भय भवन भूमिधर।
सिव अकाम अभिरामधाम नित रामनाम रूचि।ं
+
भानुमंत भगवंत भूतिभूषन भुजंगबर।।
  
कंदर्प दुर्गम दमन उमारमन गुन भवन हर।
+
भब्य भावबल्लभ भवेस भव-भार-बिभंजन।
त्रिपुरारि! त्रिलोचन! त्रिगुनपर! त्रिपुरमथन! जय त्रिदसबर।।
+
भूरिभोग भैरव कुजोगगंजन जनरंजन।।
  
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भारती-बदन बिष-अदन सिव ससि-पतंग-पावक-नयन।
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कह तुलसिदास किन भजसि मन भद्रसदन मर्दनमयन।।
  
 
  
 
  
 
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19:45, 9 मई 2011 के समय का अवतरण


शंकर -स्तवन-2

 ( छंद 151, 152)

(151)

अरध अंग अंगना, नामु जोगीसु, जोगपति।
बिषम असन, दिगबसन, नाम बिस्वेसु बिस्वगति।।

कर कपाल, सिर माल ब्याल, बिष -भूति-बिभूषन।
 नाम सुद्ध , अबिरूद्ध, अमर अनवद्य, अदूषन।।

बिकराल-भूत-बेताल-प्रिय भीम नाम, भवभयदमन।
 सब बिधि समर्थ, महिमा अकथ, तुलसिदास-संसय-समन।।

(152)

भूतनाथ भय हरन भीम भय भवन भूमिधर।
 भानुमंत भगवंत भूतिभूषन भुजंगबर।।

भब्य भावबल्लभ भवेस भव-भार-बिभंजन।
 भूरिभोग भैरव कुजोगगंजन जनरंजन।।

भारती-बदन बिष-अदन सिव ससि-पतंग-पावक-नयन।
कह तुलसिदास किन भजसि मन भद्रसदन मर्दनमयन।।