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"किसे पता था? / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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नंगे पांव, बदन पर   
 
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केवल फटी लंगोटी होगी
 
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पानी बिना  
 
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सूख जायेगी  
 
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आयेगी केवल  
 
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चिंता, भूख और बेकारी  
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खाली होगा पेट दिनोंदिन  
 
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खाल पीठ की मोटी होगी।  
 
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वोटों के  
 
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रगड़े झगड़े में  
 
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रोज कचेहरी  
 
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जा जाकर पैरों के तलवे,  
 
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होगा शीश पांव पर उनके  
 
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जिनकी तबियत छोटी होगी
 
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लाठी के  
 
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साये मंे उनको  
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अपना जीवन जीना होगा  
 
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जुर्रत पर  
 
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घूंट दण्ड का पीना होगा   
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छत के नाम शीश नभ होगा  
 
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किस्मत ऐसी खेाटी होगी
 
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15:04, 13 मई 2011 का अवतरण

क्या मालूम था  ?
 
क्या मालूम था
श्रम के हाथेंा
रूखी सूखी रोटी होगी,
नंगे पांव, बदन पर
केवल फटी लंगोटी होगी

पानी बिना
सूख जायेगी
उनके सपनों की फुलवारी,
हिस्से में
आयेगी केवल
चिंता, भूख और बेकारी,

खाली होगा पेट दिनोंदिन
खाल पीठ की मोटी होगी।

वोटों के
रगड़े झगड़े में
बंट जायेंगें उनके कुनबे,
घिस जायेंगे
रोज कचेहरी
जा जाकर पैरों के तलवे,

होगा शीश पांव पर उनके
जिनकी तबियत छोटी होगी

लाठी के
साये में उनको
अपना जीवन जीना होगा
आंख उठाने की
जुर्रत पर
घूंट दण्ड का पीना होगा
 
छत के नाम शीश नभ होगा
किस्मत ऐसी खेाटी होगी