भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सृष्टि ने ये कैसा अभिशप्त बीज बोया
व्योम की व्यथा को निरख इंदर्धनुष इन्द्रधनुष रोया
प्यासे को दे अंजुरी भर न पानी
भगीरथ का करें उपहास