भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मोर्निंग ग्लोरी / रित्सुको कवाबाता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=रित्सुको कवाबाता }} Category:जापानी भाषा <poem> सूर्य…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:45, 15 मई 2011 के समय का अवतरण
|
सूर्योदय से पहले
जाते हुए पात्र पेटी की ओर
हूँ आनंदमग्न शांत शीतल पवन के !
एक नन्हा बैंगनी फूल
शाखा पर
शहनाई बजाता स्वागत में नए दिन के !
एक नन्हा लाल फूल
बजाता है धुन जीवन राग की !
इन सुबह के क्षणों में
मोर्निंग ग्लोरी के साथ
मैं गा रही हूँ
सुबह का राग !
अनुवादक: मंजुला सक्सेना