भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शून्य / रित्सुको कवाबाता" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=रित्सुको कवाबाता }} Category:जापानी भाषा <poem> आगे व…)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:50, 15 मई 2011 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: रित्सुको कवाबाता  » शून्य

आगे वाला मकान तोड़ दिया गया .
तीस वर्षों का इतिहास होगया धूल धूसरित
कुछ भी शेष नहीं है
बस रह गया है शून्य .
मैं देख सकती हूँ आधारभूमि
अपने दूसरे तल के दालान से
मैं देखती हूँ -
पश्चिमी आकाश विस्तृत है
कुछ नहीं करता अवरुद्ध मेरी दृष्टि
नीले आकाश तक
ब्रह्मांड लगता है कुछ और निकट
कुछ भी नहीं है कृत्रिम धरती पर
शून्य सर्व श्रेष्ठ है !
शून्य अंत है और आरम्भ भी

अनुवादक: मंजुला सक्सेना