भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
बिना कुछ कहे
अकेले खड़े हो तुम
यमुना के किनारे पर।पर ।
तुम्हारी दीवारों में
शांति में सोता से सो रहा हैकिसी का अमृत प्यार।अमर प्यार ।
दिलों में मुमताज और शाहजहान शाहजहाँ को लेकरलोग यहाँ रोज़ आया करते हैं।हैं ।
दिलों में मोहब्बत महसूस करके
लोग प्यार का स्मारक देख सकते हैं।देखते हैं ।
हे ताजमहल।ताजमहल !
जो इश्क़ की यादें
तुम्हारे अंदर ढूँढ ढूँढ़ रहे हैं
वे प्यार से मिलेंगे
ख़ूबसूरत मक़बरे में।में ।
हे ताजमहल।ताजमहल !
मेरा भी सवाल है।
आज मेरी मुमताज़
कहाँ खो गयी गई है?शायद कल चली गई है वहअरुणाकाश में।में ।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,726
edits