भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ताजमहल / ज़्देन्येक वागनेर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
<Poem>
 
<Poem>
  
हे ताजमहल।
+
हे ताजमहल !
 
तुम्हारे रत्नों में
 
तुम्हारे रत्नों में
 
क्या मोहक फ़साना
 
क्या मोहक फ़साना

17:46, 19 मई 2011 के समय का अवतरण


हे ताजमहल !
तुम्हारे रत्नों में
क्या मोहक फ़साना
छिपा हुआ है?

बिना कुछ कहे
अकेले खड़े हो तुम
यमुना के किनारे पर ।
तुम्हारी दीवारों में
शांति से सो रहा है
किसी का अमर प्यार ।

दिलों में मुमताज और शाहजहाँ को लेकर
लोग यहाँ रोज़ आया करते हैं ।
दिलों में मोहब्बत महसूस करके
लोग प्यार का स्मारक देखते हैं ।

हे ताजमहल !
जो इश्क़ की यादें
तुम्हारे अंदर ढूँढ़ रहे हैं
वे प्यार से मिलेंगे
ख़ूबसूरत मक़बरे में ।

हे ताजमहल !
मेरा भी सवाल है।
आज मेरी मुमताज़
कहाँ खो गई है?
शायद चली गई है वह
अरुणाकाश में ।



मैंने इस कविता को हिंदी में ही लिखा है। अब यहाँ उसका चेक भाषा में अनुवाद पढ़ें


Tádžmahal

Ach, Tádžmahal!
V tvých zdobných skvostech
jaký se skrývá
půvabný příběh?

Zamlkle stojíš,
samotný
na břehu řeky Jamuny.
A ve tvých zdech
v poklidu spí
nesmrtné čísi lásky dech.

S Mumtáz a Šáhdžahánem v srdcích
lidé sem denně vcházejí.
Se srdcem milostně planoucím
památník lásky vídají.

Ach, Tádžmahal!
Kdo lásek památku
vyhledá v tobě,
ten s láskou setká se
v nádherném hrobě.

Ach, Tádžmahal!
Mám taky otázku.
Kde moje Mumtáz
dneska se ztratila?
Snad včera odešla
do červánků.