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"बौने / अनिल विभाकर" के अवतरणों में अंतर

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बौने चढ़ गए पहाड़
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तोड़ लिया ज़मीन से रिश्ता
  
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पहाड़ पर चढ़े बौने और भी बौने नज़र आते हैं
तोड़ लिया जमीन से रिश्ता
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पहाड़ पर चढे बौने और भी बौने नजर आते हैं
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इस युग में कठिन जरूर है मेरुदंड की रक्षा
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मुश्किल में है नमक की लाज
 
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घोंसले में कब घुस जायेंगे सँपोले
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कठिन है कहना
 
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सच तो यह भी है
 
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बौने, बौने ही नज़र आएँगे राजसिंहासन पर भी
  
बौने, बौने ही नजर आएंगे राजसिंहासन पर भी
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बड़े होने के लिए ज़रूरी है ख़ुद का क़द बढाना
 
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बड़े कद वाले भी बौनों की तीमारदारी में
 
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जब गाते हैं राग राज, पढ़ते हैं कसीदे
जब गाते हैं राग राज, पढते हैं कसीदे
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वे बौने हो जाते हैं ।
 
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वे बौने हो जाते हैं।
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21:38, 19 मई 2011 के समय का अवतरण

बौने चढ़ गए पहाड़
तोड़ लिया ज़मीन से रिश्ता

उनके पहाड़ चढ़ने से हमें क्या एतराज
पहाड़ पर चढ़े बौने और भी बौने नज़र आते हैं

इस युग में कठिन ज़रूर है मेरुदंड की रक्षा
मुश्किल में है नमक की लाज
घोंसले में कब घुस जायेंगे सँपोले
कठिन है कहना

सच तो यह भी है
बौने, बौने ही नज़र आएँगे राजसिंहासन पर भी

बड़े होने के लिए ज़रूरी है ख़ुद का क़द बढाना
बड़े कद वाले भी बौनों की तीमारदारी में
जब गाते हैं राग राज, पढ़ते हैं कसीदे
वे बौने हो जाते हैं ।