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"देश यह उसने गढ़ा है / विनोद तिवारी" के अवतरणों में अंतर
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01:35, 21 मई 2011 के समय का अवतरण
देश ये उसने गढ़ा है
आदमी जो बेपढ़ा है
झूठ की इन बस्तियों में
सत्य सूली पर चढ़ा है
लोग सब बौने हुए हैं
और उसका क़द बढ़ा है
रोशनी सहता नहीं है
यह अँधेरा नकचढ़ा है
पढ़ तो लीं तुमने किताबें
आदमी को भी पढ़ा है?