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"भविष्य की खातिर / नवनीत पाण्डे" के अवतरणों में अंतर

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<poem>तुम व्यर्थ ही
 
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आशान्वित हो
 
आशान्वित हो

04:03, 21 मई 2011 के समय का अवतरण

तुम व्यर्थ ही
आशान्वित हो
यह बचा हुआ हिस्सा
भाए नहीं तो क्या
तुम्हें नहीं दूंगा
रखूंगा संभाल कर
अपने भविष्य की खातिर