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"हद अभी पार नहीं / उमेश चौहान" के अवतरणों में अंतर

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'''हद अभी पार नहीं'''
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रात अभी बीती नहीं है
 
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सरात अभी बीती नहीं है
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पर रात तो बीतेगी ही
 
पर रात तो बीतेगी ही
 
सुबह अभी हुई नहीं है
 
सुबह अभी हुई नहीं है
 
पर सुबह तो होगी ही
 
पर सुबह तो होगी ही
सुरज अभी निकला नहीं है  
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सूरज अभी निकला नहीं है  
 
पर सूरज तो निकलेगा ही
 
पर सूरज तो निकलेगा ही
रोशनी अभी फैली नहीं है
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रोशनी अभी फैली नहीं है
 
पर रोशनी तो फैलेगी ही
 
पर रोशनी तो फैलेगी ही
 
पतझड़ में पात झरे हैं अभी  
 
पतझड़ में पात झरे हैं अभी  
 
पर कोंपलें तो कल सजेगीं ही  
 
पर कोंपलें तो कल सजेगीं ही  
  
लेकिन जरूरी नहीं  
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लेकिन ज़रूरी नहीं  
यह मान ही लिया जाय कि
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यह मान ही लिया जाय कि
 
जब जो होना है, वह होगा ही
 
जब जो होना है, वह होगा ही
 
पानी फिर बरसेगा ही
 
पानी फिर बरसेगा ही
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जब मैं  कुछ करूँगा  
 
जब मैं  कुछ करूँगा  
 
या आप कुछ करेंगे,
 
या आप कुछ करेंगे,
या काफी कुछ तभी होगा  
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या काफ़ी कुछ तभी होगा  
जब हमस ब मिलकर कुछ करेंगे
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जब हम सब मिलकर कुछ करेंगे
 
हम सब कुछ करेंगे ही
 
हम सब कुछ करेंगे ही
इसकी हद अभी पार नहीं हुई शायद।
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इसकी हद अभी पार नहीं हुई शायद ।
 
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03:12, 22 मई 2011 के समय का अवतरण

रात अभी बीती नहीं है
पर रात तो बीतेगी ही
सुबह अभी हुई नहीं है
पर सुबह तो होगी ही
सूरज अभी निकला नहीं है
पर सूरज तो निकलेगा ही
रोशनी अभी फैली नहीं है
पर रोशनी तो फैलेगी ही
पतझड़ में पात झरे हैं अभी
पर कोंपलें तो कल सजेगीं ही

लेकिन ज़रूरी नहीं
यह मान ही लिया जाय कि
जब जो होना है, वह होगा ही
पानी फिर बरसेगा ही
बड़वानल शीध्र बुझेगा ही
कई बार ऐसा होता ही है
राख के ढेर से भी भड़क उठती है चिंगारी
यहाँ बहुत कुछ तभी होगा
जब मैं कुछ करूँगा
या आप कुछ करेंगे,
या काफ़ी कुछ तभी होगा
जब हम सब मिलकर कुछ करेंगे
हम सब कुछ करेंगे ही
इसकी हद अभी पार नहीं हुई शायद ।