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"मुक्त क्रीड़ामग्न होकर खिलखिलाना / श्यामनारायण मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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मुक्त क्रीड़ामग्न होकर खिलखिलाना।
 
 
श्यामनारायण मिश्र
 
 
 
ऊब जाओ यदि कहीं ससुराल में
 
ऊब जाओ यदि कहीं ससुराल में
एक दिन के वास्ते ही गांव आना।
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एक दिन के वास्ते ही गाँव आना।
  
 
     लोग कहते हैं तुम्हारे शहर में
 
     लोग कहते हैं तुम्हारे शहर में
     हो गये दंगे अचानक ईद को।
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     हो गये दंगे अचानक ईद को ।
 
     हाल कैसे हैं तुम्हारे क्या पता
 
     हाल कैसे हैं तुम्हारे क्या पता
     रात भर तरसा विकल मैं दीद को।
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     रात भर तरसा विकल मैं दीद को ।
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और, वैसे ही सरल है आजकल  
 
और, वैसे ही सरल है आजकल  
आदमी का ख़ून गलियों में बहाना।
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आदमी का ख़ून गलियों में बहाना ।
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    शहर के ऊँचे मकानों के तले
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    रेंगते कीड़े सरीख़े लोग ।
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    औ’ उगलते हैं विषैला धुआँ
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    ये निरन्तर दानवी उद्योग ।
  
    शहर के ऊंचे मकानों के तले
 
    रेंगते कीड़े सरीख़े लोग।
 
    औ’ उगलते हैं विषैला धुंआ
 
    ये निरन्तर दानवी उद्योग।
 
 
छटपटाती चेतना होगी तुम्हारी
 
छटपटाती चेतना होगी तुम्हारी
ढ़ूंढ़्ने को मुक्त सा कोई ठिकाना।
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ढ़ूंढ़ने को मुक्त-सा कोई ठिकाना ।
  
 
     बाग़ में फूले कदम्बों के तले
 
     बाग़ में फूले कदम्बों के तले
     झूलने की लालसा होगी तुम्हारी।
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     झूलने की लालसा होगी तुम्हारी ।
     पांव लटका बैठ मड़वे के किनारे
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     पाँव लटका बैठ मड़वे के किनारे
     भूल जाओगी शहर की ऊब सारी।
+
     भूल जाओगी शहर की ऊब सारी ।
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बैठकर चट्टान पर निर्झर तले
 
बैठकर चट्टान पर निर्झर तले
मुक्त क्रीड़ामग्न होकर खिलखिलाना।
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मुक्त क्रीड़ा-मग्न होकर खिलखिलाना ।
 
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21:01, 23 मई 2011 के समय का अवतरण

ऊब जाओ यदि कहीं ससुराल में
एक दिन के वास्ते ही गाँव आना।

     लोग कहते हैं तुम्हारे शहर में
     हो गये दंगे अचानक ईद को ।
     हाल कैसे हैं तुम्हारे क्या पता
     रात भर तरसा विकल मैं दीद को ।

और, वैसे ही सरल है आजकल
आदमी का ख़ून गलियों में बहाना ।

     शहर के ऊँचे मकानों के तले
     रेंगते कीड़े सरीख़े लोग ।
     औ’ उगलते हैं विषैला धुआँ
     ये निरन्तर दानवी उद्योग ।

छटपटाती चेतना होगी तुम्हारी
ढ़ूंढ़ने को मुक्त-सा कोई ठिकाना ।

     बाग़ में फूले कदम्बों के तले
     झूलने की लालसा होगी तुम्हारी ।
     पाँव लटका बैठ मड़वे के किनारे
     भूल जाओगी शहर की ऊब सारी ।

बैठकर चट्टान पर निर्झर तले
मुक्त क्रीड़ा-मग्न होकर खिलखिलाना ।