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"सांप / राकेश प्रियदर्शी" के अवतरणों में अंतर

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बिल्कुल बहरा होता है सांप
 
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किसी की नहीं सुनता है वह
 
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इस लोकतन्त्र में
 
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कुछ भी नहीं सुनाई देता है उसे
 
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सबको काटता है वह,
 
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पर खाता है केवल बेबस और निरीह को
 
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सांप सब कुछ स्पष्ट देखता है,
 
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पर चुप्पी साधे रहता है
 
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रेंगनेवाला सांप से ज्यादा खतरनाक होता है  
 
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दौड़ने और उड़नेवाला सांप
 
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काला नाग से भी ज्यादा खतरनाक होता है,
 
काला नाग से भी ज्यादा खतरनाक होता है,
 
 
सफेद सांप
 
सफेद सांप
 
 
और चार टंगवा से ज्यादा खतरनाक होता है,
 
और चार टंगवा से ज्यादा खतरनाक होता है,
 
 
दू गोरवा सांप
 
दू गोरवा सांप
 
  
 
कितना भी पिलाओ दूध, वह काटेगा ही
 
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जहरीले होते हैं अधिकांश सांप
 
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अपनी धुन पर दुनिया को नचाता है वह,
 
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और स्वयं तमाशा देखता रहता है
 
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कहाँ नहीं है सांप?  
 
कहाँ नहीं है सांप?  
 
 
हर जगह फण काढ़ कर बैठा है
 
हर जगह फण काढ़ कर बैठा है
 
  
 
केवल कुर्सी की सुनता है सांप  
 
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और किसी की नहीं सुनता
 
और किसी की नहीं सुनता
 
  
 
जहां जितनी बड़ी कुर्सी, वहां उतना बड़ा
 
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होता है सांप
 
होता है सांप
 
  
 
सांप की पूजा होती है इस देश में,
 
सांप की पूजा होती है इस देश में,
 
 
बड़ी महिमा है सांप की!</poem>
 
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19:54, 24 मई 2011 के समय का अवतरण


बिल्कुल बहरा होता है सांप
किसी की नहीं सुनता है वह

इस लोकतन्त्र में
कुछ भी नहीं सुनाई देता है उसे

सबको काटता है वह,
पर खाता है केवल बेबस और निरीह को

सांप सब कुछ स्पष्ट देखता है,
पर चुप्पी साधे रहता है

रेंगनेवाला सांप से ज्यादा खतरनाक होता है
दौड़ने और उड़नेवाला सांप

काला नाग से भी ज्यादा खतरनाक होता है,
सफेद सांप
और चार टंगवा से ज्यादा खतरनाक होता है,
दू गोरवा सांप

कितना भी पिलाओ दूध, वह काटेगा ही
जहरीले होते हैं अधिकांश सांप

अपनी धुन पर दुनिया को नचाता है वह,
और स्वयं तमाशा देखता रहता है

कहाँ नहीं है सांप?
हर जगह फण काढ़ कर बैठा है

केवल कुर्सी की सुनता है सांप
और किसी की नहीं सुनता

जहां जितनी बड़ी कुर्सी, वहां उतना बड़ा
होता है सांप

सांप की पूजा होती है इस देश में,
बड़ी महिमा है सांप की!