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"मुक्ति पथ / राकेश प्रियदर्शी" के अवतरणों में अंतर
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हमारा सिर्फ कर्त्तव्य रहा और तुम्हारा अधिकार | हमारा सिर्फ कर्त्तव्य रहा और तुम्हारा अधिकार | ||
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हम हमेशा हाशिए पर रहे और तुम केन्द्र में, | हम हमेशा हाशिए पर रहे और तुम केन्द्र में, | ||
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हम निहत्थे रहे और तुम शास्त्र-शस्त्र से सुसज्जित | हम निहत्थे रहे और तुम शास्त्र-शस्त्र से सुसज्जित | ||
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लेकिन अब हम चुप नहीं रहेंगे, | लेकिन अब हम चुप नहीं रहेंगे, | ||
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हम अपने अवसर और सम्मान लेकर रहेंगे | हम अपने अवसर और सम्मान लेकर रहेंगे | ||
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तुम जिस पथ से करते रहे शोषण व अत्याचार, | तुम जिस पथ से करते रहे शोषण व अत्याचार, | ||
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वही सत्ता-पथ बनेगा दलितों की मुक्ति का आधार</poem> | वही सत्ता-पथ बनेगा दलितों की मुक्ति का आधार</poem> |
20:16, 24 मई 2011 के समय का अवतरण
हम श्रम करते रहे और तुम आदेश,
हमारा सिर्फ कर्त्तव्य रहा और तुम्हारा अधिकार
हम हमेशा हाशिए पर रहे और तुम केन्द्र में,
हम निहत्थे रहे और तुम शास्त्र-शस्त्र से सुसज्जित
लेकिन अब हम चुप नहीं रहेंगे,
हम अपने अवसर और सम्मान लेकर रहेंगे
तुम जिस पथ से करते रहे शोषण व अत्याचार,
वही सत्ता-पथ बनेगा दलितों की मुक्ति का आधार