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"सम्बंध / त्रिपुरारि कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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झुलस रहा है मेरे जिस्म का कोना-कोना | झुलस रहा है मेरे जिस्म का कोना-कोना | ||
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रूह को आग लग गई जैसे | रूह को आग लग गई जैसे | ||
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कुछ दिनों से दिन-रात मेरी आंखों में | कुछ दिनों से दिन-रात मेरी आंखों में | ||
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कोई तकलीफ बह रह रही है धीरे-धीरे | कोई तकलीफ बह रह रही है धीरे-धीरे | ||
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सारे सम्बन्ध पक रहे हैं अभी | सारे सम्बन्ध पक रहे हैं अभी | ||
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मुझको इतनी-सी फ़िक्र रहती है | मुझको इतनी-सी फ़िक्र रहती है | ||
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अलग न हो जाए हर्फ़ से कोई नुक्ता | अलग न हो जाए हर्फ़ से कोई नुक्ता | ||
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ख़त लिफाफे में गर रहे तो अच्छा है ... | ख़त लिफाफे में गर रहे तो अच्छा है ... | ||
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01:19, 25 मई 2011 के समय का अवतरण
झुलस रहा है मेरे जिस्म का कोना-कोना
रूह को आग लग गई जैसे
कुछ दिनों से दिन-रात मेरी आंखों में
कोई तकलीफ बह रह रही है धीरे-धीरे
सारे सम्बन्ध पक रहे हैं अभी
मुझको इतनी-सी फ़िक्र रहती है
अलग न हो जाए हर्फ़ से कोई नुक्ता
ख़त लिफाफे में गर रहे तो अच्छा है ...