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हिन्दुस्तान की हालत / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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<Poem>
एक चीख सुनाई देती है
हिन्दुस्तान के हाथों में मेरी सोच का गला है
कभी तो सुबह छ्पेगी रात की स्याही से
जैसे दिन की सतह पर शाम उगती है
<Poem>
Tripurari Kumar Sharma
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