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{{KKRachna
|रचनाकार=तुलसीदास
|संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास
}}
{{KKCatKavita}}
[[Category:लम्बी रचना]]
{{KKPageNavigation
|पीछे=सुभग सेज सोभित कौसिल्या रुचिर राम-सिसु गोद लिये / तुलसीदास
|आगे=चुपरि उबटि अनाहवाइकै नयन आँजे / तुलसीदास
|सारणी=गीतावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 3
}}
<poem>
जा सुखकी लालसा लटू सिव, सुक-सनकादि उदासी |
तुलसी तेहि सुखसिन्धु कौसिला मगन, पै प्रेम-पियासी ||
पगनि कब चलिहौ चारौ भैया ?
प्रेम-पुलकि, उर लाइ सुवन सब, कहति सुमित्रा मैया ||
सुन्दर तनु सिसु-बसन-बिभुषन नखसिख निरखि निकैया |
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