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"हज़ारों रंग से बिखरे हैं चारसू मेरे / त्रिपुरारि कुमार शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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हज़ारों रंग से बिखरे हैं चारसू मेरे
मगर ये रूह है रंगीन कहाँ होती है

तुम्हारे रंग की अब भी तलाश है मुझको