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"`दहलीज' चित्र-५ /रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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07:02, 26 मई 2011 के समय का अवतरण

दहलीज तक मेरी,
वे आए जरूर थे,
पर जाने क्या हुआ,
रास्ते बदल गए।



हम सिसकियाँ भरते रहे,
दहलीज के इस पार,
आँखों में अश्रु लेके,
वे भी चले गए।



दहलीज-ए- दायरा,
कुछ इतना बड़ा हुआ,
ताउम्र कैद बन रहे,
उनके इन्तज़ार में।




दहलीज के इस पार,
वे भी न आ सके,
हम लांघ कर दहलीज को,
न जा सके उस पार।