भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आँगन खेलत आनँदकन्द / तुलसीदास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास }} <poem> '''राग बिलावल''' आँगन खेलत आनँदकन्द |...)
 
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=तुलसीदास
 
|रचनाकार=तुलसीदास
 +
|संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास
 +
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
[[Category:लम्बी रचना]]
 +
{{KKPageNavigation
 +
|पीछे=छँगन मँगन अँगना खेलत चारु चार्यो भाई / तुलसीदास
 +
|आगे=ललित सुतहि लालति सचु पाये / तुलसीदास
 +
|सारणी=गीतावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 3
 
}}
 
}}
 
<poem>
 
<poem>

09:39, 26 मई 2011 के समय का अवतरण

राग बिलावल

आँगन खेलत आनँदकन्द | रघुकुल-कुमुद-सुखद चारु चन्द ||
सानुज भरत लषन सँग सोहैं | सिसु-भूषन भूषित मन मोहैं |
तन दुति मोरचन्द जिमि झलकैं | मनहुँ उमगि अँग-अँग छबि छलकैं ||
कटि किङ्किनि पग पैजनि बाजैं | पङ्कज पानि पहुँचिआँ राजैं |
कठुला कण्ठ बघनहा नीके | नयन-सरोज-मयन-सरसीके ||
लटकन लसत ललाट लटूरीं | दमकति द्वै द्वै दँतुरियाँ रुरीं |
मुनि-मन हरत मञ्जु मसि बुन्दा | ललित बदन बलि बाल मुकुन्दा ||
कुलही चित्र बिचित्र झँगूलीं | निरखत मातु मुदित मन फूलीं |
गहि मनिखम्भ डिम्भ डगि डोलत | कल बल बचन तोतरे बोलत ||
किलकत, झुकि झाँकत प्रतिबिम्बनि | देत परम सुख पितु अरु अंबनि |
सुमिरत सुखमा हिय हुलसी है | गावत प्रेम पुलकि तुलसी है ||