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"मधुमास / अलका सिन्हा" के अवतरणों में अंतर
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ज़िन्दगी की छोटी-बड़ी कठिनाइयों में | ज़िन्दगी की छोटी-बड़ी कठिनाइयों में | ||
उसी शिद्दत से तलाशती हूँ तुम्हें | उसी शिद्दत से तलाशती हूँ तुम्हें | ||
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और टटोलने लगती हैं | और टटोलने लगती हैं | ||
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बनफूल की हिदायती गंध के साथ | बनफूल की हिदायती गंध के साथ | ||
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टनकते सिर पर | टनकते सिर पर | ||
तब अनहद नाद की तरह | तब अनहद नाद की तरह | ||
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और उम्र के इस दौर में पहुँचकर | और उम्र के इस दौर में पहुँचकर | ||
समझने लगती हूँ मैं | समझने लगती हूँ मैं | ||
− | मधुमास का असली | + | मधुमास का असली अर्थ । |
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21:21, 28 मई 2011 के समय का अवतरण
सुबह की चाय की तरह
दिन की शुरुआत से ही
होने लगती है तुम्हारी तलब
स्वर का आरोह
सात फेरों के मंत्र-सा
उचरने लगता है तुम्हारा नाम
ज़रूरी- गैरज़रूरी बातों में
शिकवे-शिकायतों में
ज़िन्दगी की छोटी-बड़ी कठिनाइयों में
उसी शिद्दत से तलाशती हूँ तुम्हें
तेज़ सिरदर्द में जिस तरह
यक-ब-यक खोलने लगती हैं उँगलियाँ
पर्स की पिछली जेब
और टटोलने लगती हैं
डिस्प्रिन की गोली ।
ठीक उसी वक़्त
बनफूल की हिदायती गंध के साथ
जब थपकने लगती हैं तुम्हारी उँगलियाँ
टनकते सिर पर
तब अनहद नाद की तरह
गूँजने लगती है ज़िन्दगी
और उम्र के इस दौर में पहुँचकर
समझने लगती हूँ मैं
मधुमास का असली अर्थ ।