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बारे-बूढ़े, अंध-पङ्गु करत निहोर हैं ||
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दामिनी-बरन तनु रुपके निचोर हैं |
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सहज सलोने, राम-लषन ललित नाम,
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जैसे सुने तैसेई कुँवर सिरमौर हैं ||
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चरन-सरोज, चारु जङ्घा जानु ऊरु कटि,
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कन्धर बिसाल, बाहु बड़े बरजोर हैं |
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नीकेकै निषङ्ग कसे, करकमलनि लसै
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बान-बिसिषासन मनोहर कठोर हैं ||
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काननि कनकफूल, उपबीत अनुकूल,
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पियरे दुकूल बिलसत आछे छोर हैं |
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राजिव नयन, बिधुबदन टिपारे सिर,
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नख-सिख अंगनि ठगौरी ठौर ठौर हैं ||
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सभा-सरवर  लोक-कोक-नद-कोकगन
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प्रमुदित मन देखि दिनमनि भोर हैं |
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अबुध असैले मन-मैले महिपाल भये,
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कछुक उलूक कछु कुमुद चकोर हैं ||
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भाईसों कहत बात, कौसिकहि सकुचात,
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बोल घन घोर-से बोलत थोर-थोर हैं |
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सनमुख सबहि, बिलोकत सबहि नीके,
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कृपासों हेरत हँसि तुलसीकी ओर हैं ||
  
पूजि पारबती भले भाय पाँय परिकै |
 
सजल सुलोचन, सिथिल तनु पुलकित,
 
आवै न बचन, मन रह्यो प्रेम भरिकै ||
 
अंतरजामिनि भवभामिनि स्वामिनिसों हौं,
 
कही चाहौं बात, मातु अंत तौ हौं लरिकै |
 
मूरति कृपालु मञ्जु माल दै बोलत भई,
 
पूजो मन कामना भावतो बरु बरिकै ||
 
राम कामतरु पाइ, बेलि ज्यों बौण्ड़ी बनाइ,
 
माँग-कोषि तोषि-पोषि, फैलि-फूलि-फरिकै |
 
रहौगी, कहौगी तब, साँची कही अंबा सिय,
 
गहे पाँय द्वै, उठाय, माथे हाथ धरिकै ||
 
मुदित असीस सुनि, सीस नाइ पुनि पुनि,
 
बिदा भई देवीसों जननि डर डरिकै |
 
हरषीं सहेली, भयो भावतो, गावतीं गीत,
 
गवनी भवन तुलसीस-हियो हरिकै ||
 
 
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15:58, 29 मई 2011 के समय का अवतरण

रङ्गभूमिमें
रङ्गभूमि आए, दसरथके किसोर हैं |
पेखनो सो पेखन चले हैं पुर-नर-नारि,
बारे-बूढ़े, अंध-पङ्गु करत निहोर हैं ||

नील पीत नीरज कनक मरकत घन
दामिनी-बरन तनु रुपके निचोर हैं |
सहज सलोने, राम-लषन ललित नाम,
जैसे सुने तैसेई कुँवर सिरमौर हैं ||

चरन-सरोज, चारु जङ्घा जानु ऊरु कटि,
कन्धर बिसाल, बाहु बड़े बरजोर हैं |
नीकेकै निषङ्ग कसे, करकमलनि लसै
बान-बिसिषासन मनोहर कठोर हैं ||

काननि कनकफूल, उपबीत अनुकूल,
पियरे दुकूल बिलसत आछे छोर हैं |
राजिव नयन, बिधुबदन टिपारे सिर,
नख-सिख अंगनि ठगौरी ठौर ठौर हैं ||

सभा-सरवर लोक-कोक-नद-कोकगन
प्रमुदित मन देखि दिनमनि भोर हैं |
अबुध असैले मन-मैले महिपाल भये,
कछुक उलूक कछु कुमुद चकोर हैं ||

भाईसों कहत बात, कौसिकहि सकुचात,
बोल घन घोर-से बोलत थोर-थोर हैं |
सनमुख सबहि, बिलोकत सबहि नीके,
कृपासों हेरत हँसि तुलसीकी ओर हैं ||