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"चल दी जी, चल दी / अशोक चक्रधर" के अवतरणों में अंतर
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कुर्ता ख़रीदना है अपने लिए । | कुर्ता ख़रीदना है अपने लिए । | ||
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वो ख़ुशी-ख़ुशी जल्दी । | वो ख़ुशी-ख़ुशी जल्दी । |
02:23, 28 जून 2007 का अवतरण
मैंने कहा
चलो
उसने कहा
ना
मैंने कहा
तुम्हारे लिए खरीदभर बाज़ार है
उसने कहा
बन्द
मैंने पूछा
क्यों
उसने कहा
मन
मैंने कहा
न लगने की क्या बात है
उअसने कहा
बातें करेंगे यहीं
मैंने कहा
नहीं, चलो कहीं
झुंझलाई
क्या-आ है ?
मैनें कहा
कुर्ता ख़रीदना है अपने लिए ।
चल दी जी, चल दी
वो ख़ुशी-ख़ुशी जल्दी ।