भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 81 से 89/पृष्ठ 2" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास |संग्रह= गीतावली/ तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} [[Category…) |
|||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
{{KKPageNavigation | {{KKPageNavigation | ||
|पीछे=गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 81 से 89/पृष्ठ 1 | |पीछे=गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 81 से 89/पृष्ठ 1 | ||
− | |आगे=गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 81 से 89/ | + | |आगे=गीतावली अयोध्याकाण्ड पद 81 से 89/पृष्ठ 3 |
|सारणी=गीतावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 18 | |सारणी=गीतावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 18 | ||
}} | }} |
15:35, 5 जून 2011 के समय का अवतरण
(82)
जानी है सङ्कर-हनुमान-लषन-भरत राम भगति |
कहत सुगम, करत अगम, सुनत मीठी लगति ||
लहत सकृत, चहत सकल, जुग जुग जगमगति |
राम-प्रेम-पथतें कबहुँ डोलति नहिं, डगति ||
रिधि-सिधि, बिधि चारि सुगति जा बिनु गति अगति |
तुलसी तेहि सनमुख बिनु बिषय-ठगिनि ठगति ||