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"इस मौसम में! / सत्यनारायण" के अवतरणों में अंतर

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या जेहाद है  
 
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या फिर क्या है?  
 
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  इतिहासों के  
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  काले पन्ने खुलते जाते  
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  नादिरशाहों  
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  चंग़ेजों की चली बनी है!  
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रह-रह  
 
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बदल रहा है मौसम  
 
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हों या  
 
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हों पटना में  
 
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  पानीपत की आँखों में  
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  अब भी दहशत है  
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    अब भी दहशत है  
  और आज भी  
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    और आज भी  
  नालन्दा में आग़जनी है।  
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    नालन्दा में आग़जनी है।  
 
घड़ियालों की  
 
घड़ियालों की  
 
बन आई है  
 
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हो रहे तमाशे  
 
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नई सदी में  
 
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  लहजे बदले  
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  इंद्रप्रस्थ में संवादों के  
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    इंद्रप्रस्थ में संवादों के  
  रंगमंच पर  
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    रंगमंच पर  
  फ़नकारों में ग़ज़ब ठनी है।
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    फ़नकारों में ग़ज़ब ठनी है।
 
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16:50, 14 जून 2011 के समय का अवतरण

इस मौसम में
कुछ ज़्यादा ही तनातनी है।

सच है स्याह
सफ़ेद झूठ
यह आखिर क्या है?

धर्मयुद्ध है
या जेहाद है
या फिर क्या है?
     इतिहासों के
     काले पन्ने खुलते जाते
     नादिरशाहों
     चंग़ेजों की चली बनी है!
रह-रह
बदल रहा है मौसम
दुर्घटना में
लोग हस्तिनापुर में
हों या
हों पटना में
     पानीपत की आँखों में
     अब भी दहशत है
     और आज भी
     नालन्दा में आग़जनी है।
घड़ियालों की
बन आई है
समय नदी में
नये-नये
हो रहे तमाशे
नई सदी में
     लहजे बदले
     इंद्रप्रस्थ में संवादों के
     रंगमंच पर
     फ़नकारों में ग़ज़ब ठनी है।