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मैं / गुलाब खंडेलवाल

No change in size, 19:05, 15 जून 2011
विस्तार अमित, आदि-अंत तक हूँ मैं
क्षण-क्षण विलीन सृष्टियाँ अमित जिसमें
वह काल-भाल-नेत्र निष्फलक निष्पलक हूँ मैं
<poem>
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