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"होली(मुक्तक)/रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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1- इठलाती-इतराती सी होली है आई यारो,
रूठों को मनाने को होली है आई यारो,
सपने बिखर गए हैं जिन सूनी आँखों के,
सपनों में रंग भरने होली है आई यारो।

2- किसने कहा,क्या कहा सब भूल जाओ यारो,
होली के रंगों में सब डूब जाओ यारो,
इक बार प्रेम रंग में डूबकर तो देखो,
सब दूरियां मिटेंगी बस खिलखिलाओ यारो।

3 - होली के रंगों में हो इतनी मिठास यारो,
रोते को हँसा दे इतनी हो खास यारो,
सबको समान समझें होली तभी मनेगी,
धरा भी गा उठेगी अंबर गुलाल यारो।