"नीरज दइया / परिचय" के अवतरणों में अंतर
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साहित्यिक वातावरण में पला बढ़ा और आरंभ में राजस्थानी में ही लिखना स्वीकारा किया, लेखन में भाषा नहीं वरन लेखन ही महत्वपूर्ण होता है । एम. ए. हिंदी और राजस्थानी साहित्य में करने के पश्चात “निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध” विषय पर शोध कार्य किया । | साहित्यिक वातावरण में पला बढ़ा और आरंभ में राजस्थानी में ही लिखना स्वीकारा किया, लेखन में भाषा नहीं वरन लेखन ही महत्वपूर्ण होता है । एम. ए. हिंदी और राजस्थानी साहित्य में करने के पश्चात “निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध” विषय पर शोध कार्य किया । | ||
साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के लिए “ग-गीत” (काव्य संग्रह कवि मोहन आलोक) का राजस्थानी से हिंदी अनुवाद किया जो अकादेमी द्वारा 2004 में छपा । | साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के लिए “ग-गीत” (काव्य संग्रह कवि मोहन आलोक) का राजस्थानी से हिंदी अनुवाद किया जो अकादेमी द्वारा 2004 में छपा । | ||
− | राजस्थानी में मौलिक कविता संग्रह के रूप में ‘साख’ तथा ‘देसूंटो’ कविता-संग्रह तथा लघुकथा संग्रह प्रकाशित हैं । | + | राजस्थानी में मौलिक कविता संग्रह के रूप में ‘साख’ तथा ‘देसूंटो’ कविता-संग्रह, 'आलोचना रै आंगणै’ तथा लघुकथा संग्रह- ’भोर सूं आथण तांईं’ प्रकाशित हुए हैं । |
निर्मल वर्मा के कथा संग्रह "कव्वै और काला पानी" और अमृता प्रीतम के कविता संग्रह "कागद ते कनवास" के राजस्थानी अनुवाद भी किए, जो महत्त्वपूर्ण माने गए हैं । | निर्मल वर्मा के कथा संग्रह "कव्वै और काला पानी" और अमृता प्रीतम के कविता संग्रह "कागद ते कनवास" के राजस्थानी अनुवाद भी किए, जो महत्त्वपूर्ण माने गए हैं । | ||
अनेक सग्रहों में सहभागी रचनाकार के रूप में प्रकाशित और राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी, बीकानेर की मासिक पत्रिका ‘जागती जोत’ का संपादन भी किया । | अनेक सग्रहों में सहभागी रचनाकार के रूप में प्रकाशित और राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी, बीकानेर की मासिक पत्रिका ‘जागती जोत’ का संपादन भी किया । |
04:01, 19 जून 2011 का अवतरण
लेखकीय नाम : नीरज दइया
नाम : डॉ एन.के. दइया
जन्म : २२ सितम्बर, १९६८
साहित्यिक वातावरण में पला बढ़ा और आरंभ में राजस्थानी में ही लिखना स्वीकारा किया, लेखन में भाषा नहीं वरन लेखन ही महत्वपूर्ण होता है । एम. ए. हिंदी और राजस्थानी साहित्य में करने के पश्चात “निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध” विषय पर शोध कार्य किया ।
साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के लिए “ग-गीत” (काव्य संग्रह कवि मोहन आलोक) का राजस्थानी से हिंदी अनुवाद किया जो अकादेमी द्वारा 2004 में छपा ।
राजस्थानी में मौलिक कविता संग्रह के रूप में ‘साख’ तथा ‘देसूंटो’ कविता-संग्रह, 'आलोचना रै आंगणै’ तथा लघुकथा संग्रह- ’भोर सूं आथण तांईं’ प्रकाशित हुए हैं ।
निर्मल वर्मा के कथा संग्रह "कव्वै और काला पानी" और अमृता प्रीतम के कविता संग्रह "कागद ते कनवास" के राजस्थानी अनुवाद भी किए, जो महत्त्वपूर्ण माने गए हैं ।
अनेक सग्रहों में सहभागी रचनाकार के रूप में प्रकाशित और राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी, बीकानेर की मासिक पत्रिका ‘जागती जोत’ का संपादन भी किया ।
राजस्थानी कविता के लिए पीथळ पुरस्कार और अनुवाद के लिए राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा अनुवाद पुरस्कार के अतिरिक्त कई मान-सम्मान और पुरस्कार भी मिले हैं ।
हिंदी कविताओं का प्रथम संग्रह ‘उचटी हुई नींद’ प्रकाशनाधीन है ।
वर्तमान में : केंदीय विद्यालय संगठन में हिंदी पी.जी.टी. के पद पर सेवारत
संपर्क : डॉ. नीरज दइया,
द्वारा- श्री मनोज कुमार स्वामी,
सूरतगढ़ टाइम्स, पुराना बस स्टैंड,
सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर) राजस्थान
E-mail : neerajdaiya@gmail.com
Mob.No.: 09461375668
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