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"यों उड़ा है नशा जवानी का / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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हम उन आँखों की बेज़बानी का
 
हम उन आँखों की बेज़बानी का
  
रा आया था लटें खोले कोई  
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रात आया था लटें खोले कोई  
 
फूल महका था रातरानी का  
 
फूल महका था रातरानी का  
  

20:44, 21 जून 2011 का अवतरण


यों उड़ा है नशा जवानी का
जैसे बालू पे हर्फ़ पानी का

खून से अपने लिख गए हैं जवाब
हम उन आँखों की बेज़बानी का

रात आया था लटें खोले कोई
फूल महका था रातरानी का

कही ऐसा न हो, मिलें जब आप
कहनेवाला हो चुप कहानी का!

रंग देखें गुलाब के भी आज
जिनको दावा है बागवानी का