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"नहीं दुःख ये भार होता, न ये इंतज़ार होता / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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नहीं दुःख ये भार होता, न ये इंतज़ार होता
 
कभी ज़िन्दगी मुझे भी तेरा ऐतबार होता
 
 
कोई मुझसे आके पूछे तेरे प्यार की कसक को
 
कोई तीर ऐसा होता, मेरे दिल के पार होता!
 
 
तेरा प्यार मिल भी जाए, तेरा रूप मिल न पाता
 
जो हज़ार बार मिलते, यही इंतज़ार होता
 
 
मेरी शायरी नहीं यह मेरे दिल का आइना है 
 
कभी खुद को इसमें पाकर उन्हें मुझसे प्यार होता!
 
 
नहीं उनको अब है भाती, ये महक गुलाब की भी
 
वही धूल में पड़ा है जो गले का हार होता
 
 
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01:49, 25 जून 2011 के समय का अवतरण