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"जो तुम आ जाते एक बार / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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गाता प्राणों का तार तार
 
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अनुराग भरा उन्माद राग;
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हंस उठते पल में आर्द्र नयन
 
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धुल जाता होठों से विषाद,
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छा जाता जीवन में बसंत
 
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लुट जाता चिर संचित विराग;
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आँखें देतीं सर्वस्व वार
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जो तुम आ जाते एक बार
 
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11:58, 27 जून 2011 का अवतरण

जो तुम आ जाते एक बार

कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग

आँसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार

हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग

आँखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार