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आदमी भीतर से भी टूटा हुआ लगता है आज
जिन्दगीज़िन्दगी, शीशा तेरा फूटा हुआ लगता है आज
हर नज़र खामोश है, हर घर से उठता है धुँआधुआँ
यह शहर का शहर ही लूटा हुआ लगता है आज
तुझसे आती है किसी जूड़े की खुशबू ख़ुशबू तो गुलाब!
हाथ से दामन मगर छूटा हुआ लगता है आज
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