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कहिये तो कुछ कि काट लें दो दिन खुशी ख़ुशी से हमघबरा गये हैं आपकी इस बेरुखी बेरुख़ी से हम
हर शख्श आइना है हमारे ख्याल ख़याल का
मिलते गले-गले हैं हरेक आदमी से हम
आये भी लोग आपसे मिलकर चले गये
देख देखा किये हैं दूर खड़े अजनबी-से हम
रंगत किसी की शोख किसीकी शोख़ निगाहों की है गुलाब
कह तो रहे है बात बड़ी सादगी से हम
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